जानिए क्यों करनी पड़ी गणेश जी को परिक्रमा

जानिए क्यों करनी पड़ी गणेश जी को परिक्रमा

हमारे हिन्दू समाज में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले सर्वप्रथम भगवान श्री गणेश जी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि किसी भी शुभ कार्य को पूर्ण करने से पहले श्री गणेश जी की पूजा करने से उस कार्य मे आने वाली समस्त बाधाएं और विपदाए दूर हो जाती हैं। श्री गणेश शिव जी और माता पारवती के प्रथम पुत्र हैं। 

श्री गणेश हिन्दू सभ्यता के अनुसार "सबसे प्रथम भगवान" के नाम से पूजे जाते हैं। गणेश जी को कई नामों सें पुकारा जाता है जैसे कि विघ्नहर्ता, गजानन, एकदंत, कपिल, गजकर्ण, लम्बोदर, सुमुख आदि नामों से जाना जाता है। इन सभी नामों के स्मरण  मात्र से ही मनुष्य के सभी कष्ट दूर हो जाते है।

क्यों की जाती है श्री गणेश की सर्वप्रथम पूजा 

श्री गणेश को विघ्नहर्ता और ऋद्धि-सिद्धी तथा बुद्धि और विवेक का स्वामी कहा जाता है। इनके  स्मरण, ध्यान, जप, आराधना मात्र से व्यक्ति के समस्त कामनाओं की पूर्ति होती है व विघ्नों का विनाश होता है। 


गणेश भगवान शीघ्र प्रसन्न होने वाले बुद्धि के अधिष्ठाता  है। आखिर सबसें पहलें श्री गणेश जी की ही पूजा क्यों की जाती है। किसी अन्य देवी -देवताओं की क्यों नही  की जाती है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है जो इस प्रकार है


श्री गणेश की परिक्रमा का रहस्य 

एक बार की बात है सभी देवता बहुत ही मुश्किल में थे। सभी देव गण शिवजी के शरण में अपनी मुश्किलों के हल के लिए पहुंचे। उस समय भगवान शिवजी के साथ गणेश और कार्तिकेय भी वहीँ बैठे थे। देवताओं की मुश्किल को देखकर शिवजी नें गणेश और कार्तिकेय से प्रश्न पूछा  – तुममें से कौन देवताओं की मुश्किलों को हल करेगा और उनकी मदद करेगा। 


जब दोनों भाई मदद करने के लिए तैयार हो गए तो शिवजी नें उनके सामने एक प्रतियोगिता रखी। इस प्रतियोगिता के अनुसार दोनों भाइयों में जो भी सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके लौटेगा वही देवताओं की मुश्किलों में मदद करेगा।


जैसे ही शिवजी नें यह बात कही – कार्तिकेय अपनी सवारी मोर पर बैठ कर पृथ्वी की परिक्रमा करने चले गए। परन्तु गणेश जी वही अपनी जगह पर खड़े रहे और सोचने लगे की वह मूषक की मदद से पूरे पृथ्वी का चक्कर कैसे लगा सकते हैं? 

उसी समय गणेश जी के मन में एक उपाय आया। वे अपने पिता शिवजी और माता पार्वती के पास गए और उनकी सात बार परिक्रमा करके वापस अपनी जगह पर आकर खड़े हो गए। कुछ समय बाद कार्तिकेय पृथ्वी का पूरा चक्कर लगा कर वापस पहुंचे और स्वयं को विजेता कहने लगे। 


तभी शिवजी नें गणेश जी की ओर देखा और उनसे प्रश्न किया – क्यों गणेश तुम क्यों पृथ्वी की परिक्रमा करने नहीं गए? तभी गणेश जी ने उत्तर दिया – “माता पिता में ही तो पूरा संसार बसा है?” चाहे मैं पृथ्वी की परिक्रमा करूँ या अपने माता पिता की एक ही बात है। 

यह सुन कर शिवजी बहुत खुश हुए और उन्होंने गणेश जी को सभी देवताओं के मुश्किलों को दूर करने की आज्ञा दी। साथ ही शिवजी नें गणेश जी को यह भी आशीर्वाद दिया कि कृष्ण पक्ष के चतुर्थी में जो भी व्यक्ति तुम्हारी पूजा और व्रत करेगा उसके सभी दुःख दूर होंगे और भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी।
 

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