अशोक चक्र जिसे हम सभी धर्म चक्र के नाम से भी जानते हैं। यह चक्र चक्रवर्ती सम्राट अशोक के शासन काल मे उनके द्धारा बनाये गये शिलालेखों पर भी अंकित है। यह चक्र सम्राट अशोक द्धारा बनाये गए अशोक स्तम्भ जो की सारनाथ मे स्तिथ है उस पर चहुमुखी सिंह की प्रतिमा पर सबसे नीचे की तरफ बना हुआ है।
अशोक चक्र प्रतीक के रूप मे क्या दर्शाता है (What does the Ashoka Chakra symbol represent)
अशोक चक्र राष्ट्र प्रतीक के रूप मे भी जाना जाता है। इस चक्र को भारत के गौरव राष्ट्रीय ध्वज मे भी स्थान दिया गया है। भारत के राष्ट्रीय प्रतीक इस अशोक चक्र को कर्तव्यों का पहिया भी कहा जाता है।
इस अशोक चक्र मे स्थित चौबीस तीलियाँ मनुष्य को उसके चौबीस कर्तव्यों का भी बोध कराती हैं और उसे धर्म के मार्ग पर प्रशस्त करती हैं। अशोक चक्र को भारत के राष्ट्रीय पदक के रूप मे भी दिया जाता है। यह पदक शांति के समय दिया जाने वाला सबसे ऊचा वीरता पदक है।
अशोक चक्र का रंग क्या है (what is the color of ashok chakra)
भारत के राष्ट्रीय ध्वज (Indian National Flag) के मध्य बने अशोक चक्र का अपना ही एक अलग महत्व है। भारत के राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग की क्षैतिज पट्टियां हैं।
इसमें सबसे ऊपर की पट्टी मे केसरिया रंग, बीच में सफेद रंग और सबसे नीचे हरे रंग की पट्टी है। ये तीनों पट्टियाँ एक समान हैं इसके बीचों-बीच गहरे नीले रंग का एक चक्र है जिसमे चौबीस तीलियाँ है और जिसे अशोक चक्र कहते है।
यह चक्र नीले रंग का होता है इस चक्र के नीले रंग के बारे में कहा जाता है कि, नीला रंग आकाश, महासागर और सार्वभौमिक सत्य को दर्शाता हैं इसलिए राष्ट्रीय ध्वज की सफेद पट्टी के केंद्र में नीले रंग का अशोक चक्र होता हैं।
अशोक चक्र मे स्थित चौबीस तीलियों का अर्थ (Meaning of twenty four spokes in Ashoka Chakra)
अशोक चक्र को भारत सरकार का राष्ट्रीय चिन्ह कहा जाता है यह भारत की एकता और संप्रभुता का प्रतीक है। इस चक्र में चौबीस तीलियों का प्रयोग किया गया है।
अशोक चक्र मे स्थित ये सभी चौबीस तीलियाँ हमे हमारे उन सभी चौबीस कर्तव्यों का आभास कराती है जो इस राष्ट्र के प्रति हमारा पहला उत्तरदायित्व है।
इन्हे हम राष्ट्र के प्रति अपने चौबीस धर्मो के रूप में भी देख सकते है जिनका वर्णन इस प्रकार है -
पहली तीली का पहला कर्त्तव्य - संयमित जीवन जीनादूसरी तीली का दूसरा कर्त्तव्य - शरीर को आरोग्य रखना
तीसरी तीली का तीसरा कर्त्तव्य - देश में शांति व्यवस्था को बनाये रखना
चौथी तीली का चौथा कर्त्तव्य - त्याग की भावना का होना
पांचवी तीली का पाँचवा कर्त्तव्य - शालीन स्वभाव
छठी तीली का छठा कर्त्तव्य - सेवाभाव का होना
सातवीं तीली का सातवा कर्त्तव्य - क्षमा की भावना
आठवी तीली का आठवा कर्त्तव्य - देश और समाज के प्रति प्रेम
नौवीं तीली का नौवा कर्त्तव्य - मैत्रीभाव
दसवीं तीली का दसवा कर्त्तव्य - बन्धुत्व की भवना को बढ़ाना
ग्यारहवी तीली का ग्यारहवा कर्त्तव्य - राष्ट्र संगठन को मजबूत करना
बारहवी तीली का बारहवा कर्त्तव्य - कल्याणकारी कार्यों में हिस्सा लेना
तेरहवी तीली का तेरहवा कर्त्तव्य - देश की समृद्धि में योगदान देना
चौदहवी तीली का चौदहवा कर्त्तव्य - देश का औद्योगिक विकास करना
पंद्रहवी तीली का पंद्रहवा कर्त्तव्य - देश की सुरक्षा के प्रति सजग रहना
सौलहवी तीली का सौलहवा कर्त्तव्य - नियम और संयम से जीवन जीना
सत्रहवी तीली का सत्रहवा कर्त्तव्य - समाज में समता का भाव जाग्रत करना
अठारहवी तीली का अठारहवा कर्त्तव्य - धन को सामाजिक कार्यो में लगाना
उन्नीसवी तीली का उन्नीसवा कर्त्तव्य - देश की नीति के प्रति सम्मान रखना
बीसवी तीली का बीसवा कर्त्तव्य - न्याय का साथ देना
इक्कीसवी तीली का इक्कीसवा कर्त्तव्य - आपसी मेलजोल रखना
बाईसवी तीली का बाईसवा कर्त्तव्य - अपने कर्तव्यों का पालन करना
तेईसवी तीली का तेईसवा कर्त्तव्य - कभी अपने अधिकारों का दुरूपयोग
अशोक चक्र में स्थापित ये सभी तीलियाँ हमे अपने देश और समाज के चहुमुखी विकास के लिये प्रेरित करती हैै, ये हमे हमारे उन सभी कर्तव्यों और अधिकारों का बोध कराती हैं, जो हमारे देश और समाज के विकास के लिये परम आवश्यक है, ये हमे देश को एक सूत्र में बॉधने का संदेश देती है।
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