अशोक के पेड़ से सम्बन्धित महत्वपूर्ण जानकारी | information related to Ashoka tree

अशोक के पेड़ से सम्बन्धित महत्वपूर्ण जानकारी | information related to Ashoka tree

हिन्दू धर्म मे कई अनेको पेड़ है जिनका अपना अलग महत्व है। यहाँ पेड़ो का धार्मिक और आध्यात्मिक  द्रिष्टिकोण से आयुर्वेदिक तथा ज्योतिषीय द्रिष्टिकोण से भी एक विशेष स्थान दिया जाता है। 

प्रत्येक पेड़ किसी ना किसी रूप मे अपना एक अलग महत्व रखता है। इन्ही मे से एक पेड़ है अशोक का पेड़  जिसे आध्यात्मिक, आयुर्वेदिक और ज्योतिषीय द्रिष्टिकोण से विशेष माना गया है। 

अशोक के पेड़ को हिन्दू धर्म मे काफी पवित्र और प्रत्येक रूप से लाभकारी पेड़ बताया गया है। सरल शब्दों मे अशोक शब्द का शाब्दिक अर्थ किसी भी प्रकार का शोक ना होना अर्थात शोक से रहित होना होता है। यह पवित्र वृक्ष जिस भी स्थान पर लगाया जाता है उस स्थान को तथा उसके आसपास के वातावरण को भी ये शुद्ध और पवित्र बना देता है और उसे अपनी सकारात्मक ऊर्जा से  शोक से रहित भी कर देता है।

किसी भी धार्मिक अनुष्ठान और मांगलिक कार्यो मे इस वृक्ष के पत्तो का भी उपयोग किया जाता है। इस वृक्ष पर दैवीय और प्राकृतिक शक्तियों का विशेष प्रभाव देखा गया है जिसके कारण इस वृक्ष को जहाँ भी लगाया जाता है तथा जहाँ भी इसके पत्तो का उपयोग किया जाता है उस स्थान पर समस्त कार्य बिना किसी विघ्न के संपन्न हो जाते है। 

अशोक के पेड़ के बारे मे जानकारी Information about Ashoka tree

अशोक के पेड़ का वैज्ञानिक नाम saraca asoca होता है। यह पेड़ आमतौर पर आम के पेड़ की तरह 25 से 30 फुट लम्बा होता है। इसका पेड़ बहुत सी शाखाएँ लिए घना और छायादार पेड़ होता है। सम्पूर्ण भारत मे पाय जाने वाले इस अशोक के पेड़ का तना भूरे रंग का होता है। इसके पत्ते 9 इंच लंबे गोल और नोंकदार होते है। इस पेड़ पर फल बसंत ऋतु के समय आते हैं। इसका फल पहले कुछ नारंगी और बाद मे लाल हो जाता है तथा ये वर्षा काल तक ही रहते हैं। 

अशोक के पेड़ की फली आठ से दस इंच लंबी और चपटी होती है। इस पेड़ की प्रत्येक फली मे चार से दस की संख्या मे बीज आते हैं। इसकी फली निकलने के बाद जामुनी तथा पकने के बाद काले रंग की हो जाती है। अशोक के पेड़ की छाल,बीज और इसके फूलो को औषधि के रूप मे भी उपयोग मे लाया जाता है। असली अशोक की छाल छूने मे खुरदरी तथा भीतर से लाल रंग की और कड़वी होती है। 

अशोक के पेड़ के प्रकार Types of Ashoka Trees

अशोक का पेड़ दो प्रकार का होता है एक आमतौर पर जिसे हम सभी अपने घरो के बाहर लगाते है तथा दूसरा वो जो औषधि के रूप मे उपयोग मे लाया जाता है। एक पेड़ असली अशोक का पेड़ होता है तथा दूसरा उससे मिलता;जुलता नकली अशोक का पेड़ होता है। 

असली अशोक का पेड़ :- असली अशोक के पेड़ को लैटिन भाषा मे जोनेसिया अशोका कहते है। इस पेड़ के पत्ते 8 -9 इंच लंबे तथा 2 -2.5  इंच चौड़े होते हैं। इस पेड़ के पत्ते निकलने पर इसका रंग तांबे के तरह से होने के कारण इसे ताम्रपल्लव के नाम से भी जानते है। 

बसंत ऋतु मे आनेवाले इसके फूल नारंगी रंग के होते हैं जो बाद मे लाल रंग के हो जाते है। सुनहरा रंग लिए हुए लाल रंग का होने के कारण इसे हेमपुष्पा के नाम से भी जानते है। इसी पेड़ का आर्युवेद मे औषधि के रूप मे उपयोग किया जाता है। इस अशोक के पेड़ पर आने वाला फूल उड़ीसा राज्य का राज्य फूल है।   

नकली अशोक का पेड़ :-  नकली अशोक के पेड़ के पत्ते आम के पत्तो की तरह होते है। इसका फूल सफ़ेद रंग का तथा फल लाल रंग का होता है। यह देवदार प्रजाति के वृक्ष होता है। इस पेड़ का उपयोग औषधि के रूप मे नहीं किया जाता है। 

इस पेड़ को बाग़ बगीचों और घरो के बाहर सजावट के तौर पर लगाया जाता है। इस पेड़ का तना सीधा चलता है। इसकी पत्तियाँ लंबी और नुकीली होती है और पेड़ पर घनी दिखाई देती है।    

अशोक के पेड़ के विभिन्न नाम Different Names of Ashoka Tree

भारतीय उपमहाद्वीप के बीच और पूर्वी हिमालय मे पाए जाने वाले इस अशोक के पेड़ को सम्पूर्ण भारत मे विभिन्न नामों से जाना जाता है। संस्कृत और हिन्दी भाषा मे इसे अशोक के नाम से जाना जाता है। मराठी मे इसे अशोपक तथा गुजराती भाषा मे इसे आसोपालव के नाम से जानते हैं। बंगाली भाषा मे इसे अस्पाल,अशोक और तेलगु मे इसे अशोकम के नाम से जानते हैं। तमिल मे इसे अशोघम कहा जाता है। अंग्रेजी मे इसे saraca asoca (सराका असोक)  तथा लैटिन भाषा मे इस पेड़ को जोनेसिया अशोका  के नाम  से जानते हैं। 

अशोक के पेड़ को लगाने की विधि How to Plant Ashoka Tree 

अशोक का पेड़ दिखने में बहुत आकर्षक और सुंदर लगता है। सदाबहार इस पेड़ को घरो के बाहर सजावट के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। अशोक के पेड़ को लगाना दूसरे पेड़ो को लगाने की तरह ही बहुत आसान है। इस पेड़ को हम बिना नर्सरी से लाए ही घर पर बहुत आसान तरीके के साथ मे इसे लगा सकते हैं।

यहाँ पर हम अशोक के पेड़ को लगाने का आसान तरीका और उसकी देखभाल कैसे करें तथा इस पेड़ मे हमें कौन सी खाद का प्रयोग करना है जिससे यह पेड़ घर मे जल्दी बढ़ सके। इन सभी की विधियों को हम यहाँ जानेंगे। अशोक के पेड़ को लगाने का दो आसान तरीका है 

1.  कलम काटकर अशोक का पेड़ लगाना    2.  बीजारोपण द्धारा अशोक का पेड़ लगाना 

अशोक के पेड़ की कलम कैसे लगाए How to plant Ashoka tree cuttings  

अशोक के पेड़ को कलम के द्धारा लगाने के लिए हम यूँ तो किसी भी मौसम मे लगा सकते हैं किन्तु अगर हम इसे बरसात के मौसम मे लगाए तो यह अच्छा रहेगा। क्योकी बरसात के मौसम मे किसी भी पेड़ की कटिंग लगाने पर वह पेड़ बहुत जल्दी जमीन मे अपनी पकड़ बना लेता है। और इस समय हमें पेड़ो की ज्यादा देखभाल करने की भी जरुरत नहीं पड़ती है। 

अशोक के पेड़ की कलम लगाने के लिए किसी पुराने अशोक के पेड़ की कटिग लेनी है। कलम लगाने के लिए कटिंग की लम्बाई 4 -5 इंच ही होनी चाहिए। उसके सभी पत्तो को कलम मे से निकाल दे। इसके बाद सामान्य गोबर की खाद से मिली हुई मिट्टी लेकर उसमें थोड़ा नीम खली मिला सकते है। 

मिट्टी लेने के पश्चात हमें गमले मे एक रेत की परत को बिछा देना चाहिए। क्योकि रेत पानी को सोख लेता है जिससे गमले मे पानी रुकेगा नहीं और पेड़ खराब होने की शंका भी नहीं रहेगी। अशोक के पेड़ की कलम को हमें रूटिंग हार्मोन पाउडर का घोल बना कर उसमे 5 मिनट तक रखना है। इससे कलम मे जड़ जल्दी निकल आएगी।

 

5 मिनट बाद उसे घोल से निकाल कर मिट्टी से भरे गमले मे लगा दे। अगर आपके पास यह रूटिंग हार्मोन पाउडर उपलब्ध नहीं है तो आप चीनी का घोल बना कर उसकी जगह उपयोग मे ला सकते हैं। यह घोल भी रूटिंग हार्मोन पाउडर का ही काम करता है। 

बीजो के द्धारा अशोक का पेड़ कैसे लगाए How to plant Ashoka tree by seed

बीजो के द्धारा अशोक का पेड़ लगाने के लिए हमें पहले अशोक के पेड़ के बीज चाहिए। यह बीज अगस्त से सितम्बर के महीने मे आते हैं। बीजो को लेने से पहले हम यह सुनिश्चित कर ले की यह बीज ठीक हो। उसके बाद हमें एक गमला लेना है जिसमे छेद हो। उसके बाद हमें गमले मे रेत मिली हुई रेतीली मिट्टी भरनी है। क्योकि सामान्य मिटटी मे अशोक का पेड़ उगने मे समय लेता है। 

गमले मे मिट्टी डालने के बाद उसमें बीज को 3 - 4 इंच की गहराई पर डाल कर दबा दे और मिटटी को बराबर कर उसमे पानी डालकर उसे किसी छाया वाले जगह पर रख दे। इससे गमले मे नमी बनी रहेगी। मिटटी सूखने पर उसमे बीच बीच मे पानी डालते रहना है। 

इसके बाद एक महीने का इंतजार करने के बाद आप देखेगें की उसमे अशोक के पेड़ उग आए है। अगर आपकी मिट्टी सही है तो ये पेड़ जल्दी भी उग आते हैं। जब यह थोड़े बड़े हो जाए तो इनको जमीन मे या फिर किसी बड़े गमले मे लगा दीजिए। दूसरे गमले मे अशोक के पेड़ को लगाने के लिए 80 % सामान्य तथा 20 % गोबर की पुरानी खाद मिली हुई मिट्टी को मिलाकर इसमें इस अशोक के पेड़ को लगा सकते हैं। 


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