हिन्दू धर्म के चारो धामों मे से पुरी मे स्थित जगन्नाथ धाम का अपना एक अलग महत्व है। इस धाम की यात्रा किए बगैर श्रद्धालुओं की तीर्थ यात्रा को पूर्ण नहीं माना जाता है। प्रति वर्ष पुरी के जगन्नाथ धाम मे प्रभु जगन्नाथ जी की रथयात्रा निकाली जाती है।
इस रथ यात्रा मे विश्व के कोने कोने से लाखो श्रद्धालु इस रथ को खींचने तथा प्रभु जगन्नाथ जी के दर्शनों के लिए आते है। यह रथ यात्रा प्रत्येक वर्ष आषाढ़माह के शुक्ल पक्ष की द्धितीय तिथि को निकाली जाती है।प्रति वर्ष होने वाली इस रथयात्रा मे हर बार नए रथो का निर्माण किया जाता है।
भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा जब निकाली जाती है तब उस रथयात्रा मे प्रभु जगन्नाथ के साथ उनकी बहन सुभद्रा और उनके बड़े भाई बलराम जी की भी रथयात्रा साथ मे निकाली जाती है।
तीनों भाई बहन अपने अपने रथो मे सवार हो कर भक्तो को अपने दर्शन देते है तथा अपनी मौसी गुंडिचा देवी के घर जनकपुरी जाते है। भगवान जगन्नाथ अपने भाई बहन के साथ अपने जिन जिन रथो मे सवार हो कर भक्तो को अपने दर्शन देते है उन तीनो रथो की ऊंचाई और उनकी आकृतियाँ भिन्न भिन्न होती हैं।
भगवान जगन्नाथ के रथ का क्या नाम है? What is the name of the chariot of Lord Jagannath
भगवान जगन्नाथ के रथ को नन्दिघोषा कहा जाता है। इस रथ को कपिल ध्वजा के नाम से तथा गरुड़ ध्वजा के नाम से भी जाना जाता है। इस रथ मे भगवान का साथ मदनमोहन देते हैं। भगवान जगन्नाथ का रथ तीनो रथो मे सबसे बड़ा रथ होता है। भगवान जगन्नाथ के रथ को पहचानने का सबसे आसान तरीका है की यह रथ चारो तरफ से लाल और पीले रंग के कपडे से बना होता है।
भगवान जगन्नाथ के रथ मे चार श्वेत रंग (सफ़ेद रंग ) के घोड़े होते है जिनका नाम शंखा ,बलाहंखा,सुवेता और हरिदश्व है। प्रभु जगन्नाथ जी के रथ पर हनुमान और नरसिंह भगवान का प्रतीक होता है। इस रथ पर रक्षा के प्रतीक के रूप मे सुदर्शन चक्र भी होता है। इस रथ के सारथी का नाम दारुका तथा रथ के रक्षक का नाम गरुड़ है। इस रथ के दो द्वारपालों के नाम जय और विजय है। भगवान जगन्नाथ के रथ पर लगी ध्वजा को त्रिलोक्यवाहिनि कहते हैं।
भगवान जगन्नाथ के रथ को जिस रस्सी के द्धारा खींचा जाता है उस रस्सी नाम शंखचूड़ा नागुनी है। जगन्नाथ जी के रथ की रस्सी को सजाने के लिए लगभग 1100 मीटर के कपड़े का उपयोग किया जाता है। इस रथ के मुख को नंदी मुख तथा इसके अस्त्र को शंख और चक्र के नाम से जानते हैं। इस रथ पर भगवान जगन्नाथ के साथ नौ देवता और होते है जिनके नाम इस प्रकार हैं - वराह, गोबर्धन, कृष्णा (गोपी कृष्णा), नुर्सिंघा, राम, नारायण, त्रिविक्रमा, हनुमान, और रूद्र
भगवान जगन्नाथ के रथ मे कितने पहिये होते है ? How many wheels in Nandighosha chariot
भगवान जगन्नाथ और उनके भाई बहन जिस जिस रथ मे होते है उन तीनो के रथो की ऊंचाई और आकृति मे अंतर होता है। इन तीनो मे सबसे बड़ा रथ भगवान जगन्नाथ का होता है। भगवान जगन्नाथ के रथ की ऊंचाई 45 फ़ीट होती है।
भगवान जगन्नाथ के रथ को बनाने मे कुल 832 लकड़ी के टुकड़ो का इस्तेमाल किया जाता है। भगवान जगन्नाथ के इस रथ मे कुल 16 पहिए लगे होते हैं। इस रथ की लम्बाई और चौड़ाई 34 '6" x 34 '6" होती है। तथा इस रथ को बनाने मे किसी भी प्रकार से लोहे की कील का प्रयोग नहीं किया जाता है।
भगवान जगन्नाथ के नंदिघोषा रथ का सम्पूर्ण विवरण
रथ का नाम |
नन्दिघोषा,
कपिल ध्वजा, गरुड़ ध्वजा |
रथ मे कुल पहिये |
16 |
पहिये का व्यास |
7’0” |
कुल लकड़ी के टुकड़े |
832 |
रथ की ऊंचाई |
45'0" |
लम्बाई और चौड़ाई |
34′ 6″ x 34′ 6″ |
रथ के कपड़ो का रंग |
लाल और पीले रंग का कपडा |
रथ का रक्षक |
गरुड़ |
सारथी का नाम |
दारुका |
रथ का अस्त्र |
शंख और चक्र |
रथ की शक्ति |
बिमला और बिरिजा |
रथ का मुख |
नंदी मुख |
झंडा(ध्वज) |
त्रैलोक्यवाहिनी |
रथ के घोड़े |
4 |
घोड़े के नाम |
1.शंखा 2.बलाहंखा 3.सुवेता 4.हरिदश्व |
घोड़े का रंग |
सफ़ेद |
रथ की रस्सी का नाम |
शंखाचुडा नागुनी |
साथ देने वाले देवता |
मदनमोहन |
रथ के द्धारपाल |
जय और विजय |
नौ पाशर्व देवता (सहायक देवता) |
वराह, गोबर्धन, कृष्णा (गोपी कृष्णा), नुर्सिंघा, राम, नारायण, त्रिविक्रमा, हनुमान, रूद्र |
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