जगन्नाथ मंदिर के अद्भुत रहस्य- Amazing facts of jagannath temple

Amazing facts of jagannath temple

 जगन्नाथ मंदिर के अद्भुत रहस्य क्या है ?( what is Amazing facts of jagannath temple) 

 माना जाता है कि भगवान विष्णु जब चारों धामों पर बसे अपने धामों की यात्रा पर जाते हैं तो हिमालय की ऊंची चोटियों पर बने अपने धाम बद्रीनाथ में स्नान करते हैं। पश्चिम में गुजरात के द्वारिका में वस्त्र पहनते हैं। 

पुरी में भोजन करते हैं और दक्षिण में रामेश्‍वरम में विश्राम करते हैं। द्वापर के बाद भगवान कृष्ण पुरी में निवास करने लगे और बन गए जग के नाथ अर्थात जगन्नाथ। पुरी का जगन्नाथ धाम चार धामों में से एक है। यहां भगवान जगन्नाथ बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ विराजते हैं।

वैसे तो भारत के बहुत सारे मंदिरों के साथ आश्चर्य जुड़े हुए हैं लेकिन जगन्नाथ मंदिर से जुड़े आश्चर्य बहुत ही अद्भुत हैं। कहते हैं प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती भगवान जगन्नाथ के इस मंदिर पर जाकर कोई भी इन आश्चर्यों को देख सकता है लेकिन बहुत प्रयासों के बाद भी अभी तक इन रहस्यों से पर्दा नहीं उठा है इनमें से कुछ इस प्रकार हैं- 

काष्ठ की मूर्तियाँ :- जगन्नाथ मन्दिर मे तीनो भगवान की मूर्तिया काष्ठ से निर्मित होती हैं। अन्य किसी भी स्थान अथवा मन्दिर मे भगवान की मूर्ति को लकड़ी से नहीं बनायी जाती है। 

समुद्र की ध्वनि :- मंदिर के सिंहद्वार से पहला कदम अंदर रखने पर ही समुद्र की लहरों से उठने वाली ध्वनि को नहीं सुन सकते आश्चर्य में डाल देने वाली बात तो यह है कि जैसे ही आप मंदिर से एक कदम बाहर रखेंगे, वैसे ही समुद्र की आवाज सुनाई देने लगती है यह अनुभव शाम के समय और भी अलौकि‍क लगता है। 

महाप्रभु जगन्नाथ की मूर्ति का बदला जाना :- हर 12 साल में महाप्रभु जगन्नाथ की मूर्ती को बदला जाता है,उस समय शहर में अँधेरा किया जाता है, अँधेरा होने के बाद मंदिर परिसर को crpf की सेना चारो तरफ से घेर लेती है,उस समय कोई भी मंदिर में नही जा सकता


मंदिर के अंदर घना अंधेरा रहता है पुजारी की आँखों मे पट्टी बंधी होती है...पुजारी के हाथ मे दस्ताने होते है..वो पुरानी मूर्ती से "ब्रह्म पदार्थ" निकालता है और नई मूर्ती में डाल देता है...ये ब्रह्म पदार्थ क्या है आजतक किसी को नही पता...इसे आजतक किसी ने नही देखा. ..हज़ारो सालो से ये एक मूर्ती से दूसरी मूर्ती में डाला जा रहा है....भगवान जगन्नाथ और अन्य प्रतिमाएं उसी साल बदली जाती हैं, जब साल में आसाढ़ के दो महीने आते हैं।

इस मौके को नव-कलेवर कहते हैं....मगर आजतक कोई भी पुजारी ये नही बता पाया की महाप्रभु जगन्नाथ की मूर्ती में आखिर ऐसा क्या है ? ये सबसे बड़ा आश्चर्य सभी के लिए रहस्य बना हुआ है।

हवा के खिलाफ लहराती है ध्वजा :- मंदिर के शिखर पर स्थित ध्वजा हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है। ऐसा क्यों होता है यह एक रहस्य ही बना हुआ है। 

ध्वजा का प्रतिदिन बदलना :- एक और अद्भुत बात इस ध्वजा से जुड़ी है वह यह कि इसे मंदिर का एक पुजारी 45 मंजिला शिखर पर चढ़कर हर रोज बदलता है। ऐसी मान्यता है कि अगर एक दिन भी झंडा नहीं बदला गया तो मंदिर 18 सालों के लिए बंद हो जाएगा।

सुदर्शन चक्र :- मंदिर के  मुख्य शिखर पर अष्टधातु निर्मित सुदर्शन चक्र है। इस चक्र को नील चक्र भी कहा जाता है और इसे बहुत ही पवित्र माना जाता है। इसकी खास बात यह है कि यदि किसी भी कोने से किसी भी दिशा से इस चक्र को आप देखेंगें तो ऐसा लगता है जैसे इसका मुंह आपकी तरफ है।


मंदिर के ऊपर पक्षी  नहीं गुजरता:- ज्यादातर मंदिरों के शिखर पर पक्षी बैठे और उड़ते हम सभी ने देखा हैं, परन्तु जगन्नाथ मंदिर की यह बात आपको आश्चर्य मे डाल देगी कि इसके ऊपर से कोई पक्षी नहीं गुजरता यहां तक कि हवाई जहाज भी मंदिर के ऊपर से नहीं निकलता।

 हवा की उल्टी प्रक्रिया:- सामान्यतः दिन में चलने वाली हवा समुद्र से धरती की तरफ चलती और शाम को धरती से समुद्र की तरफ आश्चर्य की बात यह है कि पुरी में यह प्रक्रिया उल्टी है।

मंदिर की छाया :- जगन्नाथ मन्दिर का निर्माण कलिंग शैली मे हुआ है। मंदिर के शिखर को इस तरह निर्मित किया गया है की दिन के किसी भी समय जगन्नाथ मंदिर के मुख्य शिखर की परछाई  जमीन पर दिखाई नहीं देती है।

स्वर्ण श्रृंगार :- भगवान जगन्नाथ जी के रथ यात्रा के दौरान तीनो भगवान श्री जगन्नाथ जी ,बलभद्र और सुभद्रा का 208 किलो ग्राम स्वर्ण से श्रृंगार किया जाता है।

दुनिया की सबसे बड़ी रसोई :- श्री जगन्नाथ के मंदिर में स्थित रसोई दुनिया की सबसे बड़ी रसोई मानी जाती है। इसमें एक साथ 500 के करीब रसोइये और 300 के आस-पास सहयोगी भगवान के प्रसाद को तैयार करते हैं। दूसरा प्रसाद पकाने के लिये 7 बर्तनों को एक दूसरे के ऊपर रखा जाता है और प्रसाद पकने की प्रक्रिया सबसे ऊपर वाले बर्तन से शुरु होती है। 

मिट्टी के बर्तनों में लकड़ी पर ही प्रसाद पकाया जाता है सबसे नीचे वाले बर्तन का प्रसाद आखिर में पकता है। हैरत की बात यह भी है कि मंदिर में प्रसाद कभी भी कम नहीं पड़ता और जैसे ही मंदिर के द्वार बंद होते हैं प्रसाद भी समाप्त हो जाता है।


भोग के लिए प्रयोग किये जाने वाला बर्तन :- जगन्नाथ मन्दिर मे प्रभु जगन्नाथ जी के भोग को  तैयार करने के लिए मिट्टी के बर्तन उपयोग मे लाए जाते हैं। एक बार उपयोग मे लाने के बाद इन बर्तनो को दुबारा इस्तेमाल मे नहीं लाया जाता है। 

नहीं होता है कील का प्रयोग :- भगवान जगन्नाथ जी के रथ को बनाने के दौरान किसी भी प्रकार से कील का प्रयोग नहीं किया जाता है। 

रथ की रस्सी :- भगवान जगन्नाथ जी के रथ को जिस रस्सी से खींचा जाता है उस रस्सी को सजाने मे  ११०० मीटर कपड़े का उपयोग होता है। 

सोने की झाड़ू :- भगवान जगन्नाथ जी के रथ यात्रा को निकालते समय पुरी के राजा स्वयं ही स्वर्ण निर्मित झाड़ू से उनके मार्ग तथा उनके रथ को स्वच्छ करते है। 

रस्सी का निर्माण स्थान :- रथयात्रा के दौरान जिन रस्सियों से रथ को खींचा जाता है वह रस्सियाँ केरल से बनकर आती हैं।  

रथ यात्रा :- प्रतिवर्ष जगन्नाथ रथयात्रा पुरी  में लाखों श्रद्धालु भगवान श्री जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा का रथ खींचने और उनके दर्शन करने के लिए विश्व के कोने-कोने से यहाँ पहुंचते हैं। प्रतिवर्ष जगन्नाथ रथयात्रा के लिए नए रथ बनाये जाते हैं। पोड पीठा इस त्यौहार का एक मुख्य मिठाई है जो बहुत ही प्रसिद्ध है। 

ब्रिटिश शासन के काल में जगन्नाथ रथ यात्रा के त्यौहार को जुग्गेरनट कहा जाता था इसके बड़े और वजनदार रथों के कारण। आज तक जितनी बार भी रथ यात्रा मनाया गया है पुरी में हर बार बारिश हुई है। विश्व भर में जगन्नाथ मंदिर ही ऐसा मंदिर है जहाँ से भगवान् के स्तूप या मूर्ति को मंदिर से बहार निकाला जाता है।

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