अंकोरवाट मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य क्या है ? (what is interesting facts of Ankorwat temple)
कंबोडिया मे स्थित अंकोरवाट मंदिर श्री हरी विष्णु का अत्यंत विशाल मंदिर है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खास बात यह है कि यह विश्व का सबसे बड़ा विष्णु मंदिर है। इसकी दीवारें रामायण और महाभारत जैसे पवित्र धर्मग्रंथों से जुड़ी कहानियां कहती हैं।
अंकोरवाट के इस विष्णु मन्दिर से जुड़ी कई रोचक और रहस्मयी जानकारियाँ हैं जो शायद हम पहले कभी नहीं जानते होंगे। नीचे यहाँ पर हम इस विश्व प्रसिद्ध मन्दिर की एक-एक करके सभी रोचक और रहस्मयी जानकारियो के बारे मे जानेगें।
राष्ट्रीय सम्मान:- राष्ट्र के लिए सम्मान के प्रतीक के तौर पर अंकोरवाट मंदिर को 1983 से कंबोडिया के राष्ट्रध्वज में भी स्थान दिया गया है। यह किसी भी राष्ट्र के लिए अति सम्मानीय बात है।
मन्दिर का मूल शिखर :- अंकोरवाट मंदिर का मूल शिखर लगभग 64 मीटर ऊँचा है। इसके अतिरिक्त अन्य सभी आठों शिखर 54 मीटर उँचे हैं।
मन्दिर की चारदीवारी :- अंकोरवाट मंदिर की चारदीवारी साढ़े तीन किलोमीटर लम्बी पत्थर की दिवार से घिरा हुआ था, उसके बाहर 30 मीटर खुली भूमि और फिर बाहर 190 मीटर चौडी खाई है।
रामायण तथा महाभारत के शिलाचित्र :- इस अंकोरवाट मन्दिर की समस्त दीवारों पर सम्पूर्ण रामायण तथा महाभारत के चित्र मूर्तियों के रूप मे बड़े ही सुन्दर तरीके से बनाई गयी है।
रामायण के समस्त घटना क्रम :- अंकोरवाट मन्दिर की अन्य दीवारों पर सीता सवयंवर तथा राम का धनुष-बाण लिए स्वर्ण मृग के पीछे दौड़ना, सुग्रीव-बालि युद्ध, अशोक वाटिका में हनुमान की उपस्थिति, राम-रावण युद्ध, सीता की अग्नि परीक्षा और राम की अयोध्या वापसी का अत्यंत सजीव चित्रण किया गया है।
सबसे बड़ा हिन्दू मन्दिर :- मीकांग नदी के किनारे सिमरिप शहर में बना अंकोरवाट मंदिर आज भी संसार का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है जो सैकड़ों वर्ग मील में फैला हुआ है।
ब्रह्मा,विष्णु और महेश की मूर्तियां :- कंबोडिया में बौद्ध अनुयायियों की संख्या अत्याधिक है इसलिए जगह-जगह भगवान बुद्ध की प्रतिमा मिल जाती है। लेकिन अंकोरवाट मन्दिर के अलावा शायद ही वहां कोई ऐसा स्थान हो जहां ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की मूर्तियां एक साथ हों।
राजा सूर्यवर्मन द्धारा स्थापित :- राजा सूर्यवर्मन हिन्दू देवी-देवताओं से नजदीकी बढ़ाकर अमर बनना चाहता था। इसलिए उसने अपने लिए एक विशिष्ट पूजा स्थल बनवाया जिसमें ब्रह्मा,विष्णु,महेश, तीनों की ही पूजा होती थी। आज यही मंदिर अंकोरवाट मन्दिर के नाम से जाना जाता है।
यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज (UNESCO world heritage):- यूनस्को ने अपनी विश्व धरोहर स्थलों की सूची में 1992 में अंकोरवाट मंदिर को स्थान दिया था । साथ ही इस मंदिर का नाम गिनीज बुक ऑफ़ व्लर्ड में भी दर्ज किया गया है।
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