एक नगर में टैबी और सैबी नाम की दो बिल्लियाँ रहती थी। नगर मे घूमते हुए एक दिन उन्हें रोटी का एक टुकड़ा मिला। रोटी के उस टुकड़े के लिए दोनों बिल्लियाँ आपस मे लड़ने लगी। रोटी के उस टुकड़े के बिल्लियों ने दो भाग कर दिये।
रोटी का एक भाग टैबी ने ले लिया तो दूसरा भाग सैबी ने । फिर भी रोटी के उस टुकड़े के लिए वे दोनों बिल्लियाँ आपस में फिर दुबारा से लड़ने लगी। अब वे दोनों बिल्लियाँ इस बात पर लड़ाई करने लगी की रोटी का बड़ा टुकड़ा किसके पास है । टैबी कहती तुम्हारे पास बड़ा टुकड़ा है , सैबी कहती नहीं _ _ नहीं तुम्हारे पास बड़ा टुकड़ा है।
वे दोनों उस रोटी को दो समान भागों में बाँटना चाहती थी लेकिन उन्हें कोई उपाय नहीं मिल रहा था। ठीक उसी समय मोन्टी नाम का एक बन्दर उधर से निकला जा रहा था। वह बहुत ही चालाक बन्दर था।वह दूर से ही खड़ा होकर दोनों बिल्लियों को आपस मे लड़ता हुआ देख रहा था।
उसने दोनों बिल्लियों से उनके लड़ने का कारण पूछा। बिल्लियों ने उसे सारी बात सुनाई । बिल्लियों की बात सुनकर बन्दर ने कहा की तुम दोनों की लड़ाई का हल मेरे पास है ,अगर तुम दोनों मेरी बात सुनने को तैयार हो तो। बिल्लियों ने कहा ठीक है हम तुम्हारी बात सुनने के लिए तैयार है।
बन्दर तुरंत ही एक तराजू लेकर आया और उनसे बोला, ” लाओ, मैं तुम्हारी रोटी को दो बराबर भागो मे बाँट देता हूँ। उसने रोटी के दोनो टुकड़े लिये और तराजू के एक – एक पलड़े में रख दिए। वह बन्दर जब तराजू में रोटी को तोलता तो जिस पलड़े में रोटी थोड़ी अधिक होती, उसे थोड़ी – थोड़ी सी तोड़ कर खा लेता।
इस प्रकार करते-करते थोड़ी सी ही रोटी रह गई। जब बिल्लियों ने अपनी - अपनी रोटी वापस मांगी तो वह बन्दर शेष बची हुई रोटी भी खाकर भाग गया और बिल्लियाँ उसका मुँह ही देखती रह गई।
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