एक चालाक लोमड़ी और बेवकूफ कौआ - The fox and The crow hindi story

 

एक चालाक लोमड़ी और बेवकूफ कौआ

किसी नगर मे एक लोमड़ी रहती थी। वह बहुत ही चालाक लोमड़ी थी। वह रोज नगर मे इधर से उधर घूमा करती थी। एक दिन नगर मे घूमते हुए उसे बहुत जोरो की भूख लग रही थी। 

वह अपनी भूख मिटाने के लिए भोजन की तलाश मे इधर – उधर घूम रही थी। जब उस लोमड़ी को सारे नगर और सारे जंगल में भटकने के बाद भी कही पर भी कुछ नहीं मिला तो वह गर्मी और भूख से परेशान होकर एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ गई। 

तभी अचानक उसकी नजर एक पेड़ के ऊपर गयी। वहां पेड़ पर एक कौआ बैठा हुआ था। उस कौवे के मुंह में रोटी का एक टुकड़ा था। कौवे के मुँह मे रोटी का टुकड़ा देखकर लोमड़ी के मुँह में पानी भर आया।

अब वह लोमड़ी उस कौवे से रोटी का टुकड़ा छीनने का उपाय सोचने लगी। तभी उसके दिमाग मे रोटी के उस टुकड़े को छीनने के लिए एक उपाय आया। 

और उस चालाक लोमड़ी ने कौवे को अपने जाल मे फसाने के लिए कौवे से कहा  "कौआ भैया !... ....  कौआ भैया !

तुम कितने सुन्दर दिखते हो। तुम्हारे पंख तो बहुत ही सुन्दर दिखाई दे रहे हैं। और मैंने सुना है की तुम्हारी आवाज तो बहुत ज्यादा सुरीली है और तुम बहुत ही सुन्दर गीत गाते हो।

कौआ भैया क्या तुम मुझे अपना गीत नहीं सुनाओगे ? एक बार मुझे अपनी सुरीली आवाज सुनाओ ना कौआ भैया। 

कौआ लोमड़ी के मुँह से अपनी झूठी प्रशंसा को सुनकर बहुत खुश हुआ। और बिना सोचे समझे वह तुरंत लोमड़ी की बातो में आ गया और गाना गाने लगा 

परन्तु गाना गाने के लिए उसने जैसे ही अपना मुँह खोला, रोटी का वह टुकड़ा जो उसके मुँह मे था वह नीचे गिर गया। लोमड़ी ने झट से वह टुकड़ा उठाया और वहां से भाग गई। 

अब कौआ सिर्फ लोमड़ी को देखता रह गया और उसके पास अपनी मूर्खता पर पछताने के सिवा कुछ नहीं बचा।


सीख :- इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की व्यक्ति को कभी भी अपनी झूठी प्रशंसा सुनकर प्रसन्न नहीं होना चाहिए। क्योकि अक्सर कुछ लोग अपने मतलब से अपना काम निकालने के लिए ही हमारी झूठी प्रशंसा करते हैं और अपना काम निकलने के बाद वह हमसे बात तक करना छोड़ देते हैं। अतः ऐसे लोगो की झूठी बातो मे हमें नहीं आना चाहिए।  

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