मधुमेह के लक्षण क्या है इसका उपचार कैसे करें ?- symptoms of diabetes


आजकल के भागदौड़ के परिवेश मे हम विभिन्न तरह की बीमारियों के साथ जी रहे हैं। इन सभी बीमारियों की वजह भी शायद हम खुद ही हैं। व्यक्ति जितना अधिक सुख सुविधा के संसाधनों का उपयोग कर रहा है उतना ही अधिक वह बीमारियों की चपेट मे आता जा रहा है। 

आज के समय मे प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी बीमारी से परेशान है। कुछ बीमारियाँ ऐसी आम हो गयी है जो अधिकतर देखने और सुनने को मिलती है। इनमे से एक ऐसी आम बीमारी हैं मधुमेह जो अक्सर देखने और सुनने को मिलती है। 

मधुमेह अर्थात डायबिटीज एक ऐसी लाइलाज बीमारी है जो व्यक्ति के शरीर को आतंरिक रूप से धीरे -धीरे खोखला करती जाती है। इस रोग मे व्यक्ति के शरीर मे लंबे समय से रक्त मे शर्करा की मात्रा का स्तर उच्च बना रहता है। प्रायः हम सभी मधुमेह को आम भाषा मे शुगर की बीमारी के रूप मे जानते हैं।

शुगर अर्थात मीठा। इस बीमारी मे मीठा ही मीठे जहर के रूप मे हमारे शरीर के लिये हानिकारक होता जाता है। अधिकांश मधुमेह के रोगी गुड़,शक्कर (कच्चा मीठा), शुगर की बिस्किट, तथा रस्क आदि को अपने शरीर के लिये नुकसानदायक नहीं समझते हैं। किन्तु यह कच्चा मीठा भी शुगर बढ़ा देता है तथा शुगर फ्री बिस्किट आदि मे भी  20 - 22 %शुगर होती है।


प्रातः कालीन चाय के साथ दो बिस्किट या फिर रस्क खाकर हम अपने दिन की शुरुआत ही शुगर बढ़ाने से करते हैं। अतः अपनी जीवनशैली मे बदलाव लाकर अपने दिन का प्रारम्भ प्रातः कालीन सैर,योग व व्यायाम से करें। 

यह बदलाव आपके मधुमेह के रोग को नियंत्रित करने मे सहायक होगा। और आपका हार्ट अटैक,उच्च रक्तचाप व मोटापा आदि बीमारियों से भी बचाव करने मे सहायक होगा।  

मधुमेह के प्रारम्भिक लक्षण early symptoms of diabetes

1 अधिक पेशाब आना 

2 अधिक भूख व प्यास लगना 

3 अधिक खाने के पश्चात भी वजन कम होना 

4 कमजोरी, थकावट,चिड़चिड़ापन 

5 हाथ पैरो मे झनझनाहट, जलन अथवा सुन्न होना 

6 घाव का देर से भरना 

7 बार बार फोड़े फुंसी आदि निकलना 

8 नजर का लगातार कमजोर होना 

9 खाना खाते समय पसीना आना 

10 स्त्रियो मे बार बार गर्भपात होना 

कई बार मधुमेह का कोई भी लक्षण नहीं होता है व किसी और कारण से रक्त शर्करा की जांच द्वारा इसका पता चलता है।

मधुमेह के प्रकार types of diabetes  

मधुमेह मुख्यतः दो प्रकार की होती है। यह रोग छोटे बच्चे से लेकर बूढ़ो तक किसी को भी हो सकती है,किन्तु 35 वर्ष से अधिक आयु वालो मे यह अधिक मिलती है।  

1 . टाइप 1 डायबिटीज :-   

यह कम उम्र (0 -30 वर्ष ) मे प्रारम्भ हो जाती है। इसमें रोगी पतला और दुबला हो जाता है तथा इसमें रोग तीव्र गति से बढ़ता है और व्यक्ति को आजीवन इंसुलिन लेनी पड़ती है। 

2 . टाइप 2 डायबिटीज :-  

यह प्रायः 30 वर्ष की आयु के पश्चात शुरू होती है इसमे रोगी का वजन अधिक और पेट बाहर निकला होता है इसमें रोग धीरे गति से बढ़ता है और रोगी अपने रोग को गोलियों के माध्यम से नियंत्रित कर लेता है। इसमें इंसुलिन की जरुरत पड़ सकती है परन्तु इंसुलिन पर निर्भरता आवश्यक नहीं है। 


मधुमेह के दुष्परिणाम side effects of diabetes  

 मधुमेह के निम्न दुष्परिणाम हो सकते है जो की शुगर अनियंत्रित होने पर अधिक होते है। 

1 दिल का दौरा (हार्ट अटैक )

2 लकवा (पैरालिसिस )

3 गुर्दो की खराबी (नैफरोपैथी )

4  अंधापन (रेटिनोपैथी )

5 पैरों का सड़ना (गैंग्रीन )

6 बेहोशी (शुगर अत्यंत कम या अधिक होने पर )

क्या मधुमेह ठीक की जा सकती है ? Can diabetes be cured  

मधुमेह से ग्रसित व्यक्ति और सामान्य व्यक्ति के मन मे यह बात अक्सर आती है की क्या मधुमेह को ठीक किया जा सकता है या फिर ये आजीवन ही बनी रहती है ? 

इसका जवाब है नहीं। किसी भी चिकित्सा पद्धति मे मधुमेह को पूर्णतया ठीक नहीं किया जा सकता है मात्र उसे नियंत्रित किया जा सकता है। स्टेम सेल थेरेपी द्वारा वैज्ञानिक मधुमेह को पूर्णतया समाप्त करने के लिए प्रयत्न शील है

मधुमेह से होने वाली जटिलताओं से बचने के लिए मधुमेह नियंत्रण आवश्यक है। मधुमेह मे शर्करा क्योकि रक्त मे बढ़ी हुई होती है,और रक्त शरीर के प्रत्येक अंग मे रक्त वाहनियों द्वारा प्रवाहित होता है

इसलिए मधुमेह शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकती है। खून की नलिकाओं मे वसा के जमाव के कारण रक्त प्रवाह कम हो जाने से भी विभिन्न जटिलताएँ पैदा होती है। व्यक्ति की डायबिटीज जितने अधिक समय तक अनियंत्रित रहेगी दुष्परिणाम उतने ही अधिक घातक होंगे।

मधुमेह की जाँच diabetes test 

व्यक्ति को समय समय पर अपने मधुमेह की जाँच कराते रहना चाहिए। यदि व्यक्ति की डायबिटीज नियंत्रित भी रहती है तो भी उसे समय समय पर जाँच कराते रहना चाहिए। 

साप्ताहिक जाँच :- स्वयं पैरो की जाँच करें, रक्त शर्करा की जांच करें। 

मासिक जाँच :- ब्लड प्रेशर व ब्लड शुगर की जाँच करायें। वजन देखें। 

त्रैमासिक जाँच :- ग्लायकोसिलेटिड हीमोग्लोबिन, व चिकित्सक द्वारा ह्रदय एवं अन्य अंगो का चैकअप। 

वार्षिक जाँच :- मधुमेह से होने वाली जटिलताओं के लिये (पेशाब व रक्त द्वारा गुर्दो के लिये जाँच, रक्त वसा की जाँच ,ई.सी.जी.एवं ईकोकार्डियोग्राफी द्वारा ह्रदय की जाँच व आँखो की रोशनी व पर्दे की जाँच )।

घर पर मधुमेह की जाँच कैसे करें how to check diabetes at home 

घर पर हम शुगर की जाँच अत्यंत आसानी से कर सकते हैं। घर पर शुगर की जाँच करने के लिये ब्लड शुगर टेस्ट करने वाले उपकरण ग्लूकोमीटर (Glucometer) द्वारा हम घर पर शुगर की जाँच कर सकते हैं। कुछ उपकरण के नाम हैं - एकय़ूचेक, केयरसेंस, कोडफ्री, वन टच आदि।


मधुमेह की जाँच मे क्या सावधानियाँ रखें What precautions should be taken in the screening of diabetes   

1 . टेस्ट से पहले कम से कम तीन दिन तक अपना भोजन और दवा नियमित रूप से लेते रहें। 

2 . खाने के बाद वाले टेस्ट (PP sugar) से पहले हम उतना ही खाना व वही दवाइयाँ (गोलियाँ /इंसुलिन )उसी समय लें जैसे प्रतिदिन लेते हैं। 

3 . टेस्ट वाले दिन अधिक खाना, मिठाई खाना, नाश्ते के समय लंच लेना या उस दिन शुगर कम करने की गोली या इंसुलिन न लेना गलत है। 

4 . खाली पेट (Fasting) टेस्ट से पहले गोली या इंसुलिन न लें,व टेस्ट प्रातः जल्दी कराये। 

5 . (PP)शुगर, जब यह जानना हो की किसी व्यक्ति को शुगर है या नही,75 ग्राम ग्लूकोज़ पिलाने के बाद करायें। अगर शुगर की बीमारी का पहले से ही मालूम हो तो खाने के दो घंटे बाद करायें। 

6 . खाने के दो घंटे बाद वाला टेस्ट (PPशुगर ),खाना शुरू करने के समय से 2 घंटे बाद कराए एवं इस 2 घंटे के बीच मे और कुछ न खाए पिये। 

7 . अपने ब्लड शुगर की जाँच नियमित करें एवं ब्लड शुगर चार्ट बनाये।

मधुमेह मे कुछ विशेष परिस्थितियाँ certain conditions in diabetes 

1 . रक्त शर्करा कम होना low blood sugar 

किसी भी समय शरीर मे रक्त शर्करा सामान्य से कम हो जाना हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycaemia)  कहलाता है। इसमे रोगी को चक्कर आना, दिल घबराना, पसीना छूटना, काँपना, धुंधला दिखाई देना, सिरदर्द , पेट खाली महसूस होना आदि महसूस होता है। शुगर अत्यधिक कम हो जाने पर रोगी को बेहोशी भी हो सकती है।

कारण :-   1 . रोगी ने इंसुलिन या शुगर कम करने की गोलियाँ अधिक मात्रा मे ले ली हो।  2 . कम भोजन लेना या भोजन लेने मे देरी करना।  3 . अधिक मेहनत या कड़ा व्यायाम करना। 

सावधानी:-  1 . मेहनत और व्यायाम करने से पहले कुछ खा ले।  2 . शुगर कम करने की गोली /इंसुलिन लेने के पश्चात भोजन अवश्य करे।  3 . इंसुलिन अथवा गोली बताई गयी मात्रा मे ही लें।  4 . कभी तबियत ख़राब होने पर अथवा भूख न लगने पर यदि भोजन न करना हो तो उस समय दवा न ले।  5 . शुगर कम हो जाने पर अगर रोगी बेहोश नहीं है तो उसे 2 - 4 चम्मच ग्लूकोज़ अथवा कुछ मीठा खिला या पिला दे। कभी -कभी रोगी मीठा खाने से मना करता है,परन्तु ऐसे मे उसे मीठा देना आवश्यक है।

2. मधुमेह मे पैरो की देखभाल foot care in diabetes  

मधुमेह रोगियों के पैरों मे प्रायः खून का दौरा कम हो जाता है व न्यूरोपैथी हो जाने पर पैर सुन्न हो जाते हैं। पैरो मे बिवाई फट कर अथवा कोई चोट लगकर या कील चुभने के बाद इंफेक्शन होने का खतरा बना रहता है। यह इंफेक्शन बढ़कर सड़न (Gangrene) का रूप धारण कर सकता है इसलिए पैरो की देख भाल आवश्यक है। 

3. मधुमेह एवं ह्रदय रोग diabetes and heart disease

मधुमेह रोगी मे दिल का दौरा होने की संभावना सामान्य व्यक्ति के मुकाबले 2 से 3 गुना तक होती है। रोगी को कम उम्र मे ही ह्रदय रोग होने की संभावना अधिक हो जाती है। खून मे शुगर अधिक होने पर खून मे चर्बी (Cholesterol व Triglycerides) की मात्रा भी अधिक हो जाती है जो की ह्रदय रोग को बढ़ावा देती है।

मधुमेह मे उच्च रक्तचाप (Hypertension) के अधिकता से पाये जाने के कारण भी ह्रदय रोग की संभावना बढ़ जाती है। तथा रोगी का ह्रदय कमजोर होकर फैलने (Cardiomyopathy) की संभावना बढ़ जाती है। 

ह्रदय घात (Heart Attack) के लक्षण Symptoms of Heart Attack

छाती मे दर्द होना, जो कंधे,गर्दन पीठ तथा बायें बाजू मे जा सकता है। इसके अलावा साँस फूलना,घबराहट,पसीना आना,जी मिचलाना,उल्टी व अत्यधिक कमजोरी महसूस होना आदि भी हो सकते हैं। मधुमेह रोगी मे ह्रदयघात से मृत्यु की संभावना सामान्य ह्रदयघात रोगी से दो गुनी हो जाती है। 

उपचार :- मधुमेह रोगी मे ह्रदयघात का उपचार सामान्य ह्रदयघात के रोगी के तरह ही होता है,पर साथ ही इंसुलिन द्वारा शुगर नियंत्रित रखते हैं। 

4 . मधुमेह एवं उच्च रक्तचाप diabetes and high blood pressure

ब्लड प्रेशर 140/90 मि मी मरकरी से अधिक होना। मधुमेह के साथ बीपी भी अधिक होने पर रोगी हार्ट अटैक,अधरंग,गुर्दे ख़राब होने,आँख का पर्दा ख़राब होने व टांगो की नसो के ख़राब होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।       

बचाव व उपचार :- 1. धूम्रपान व तम्बाकू का सेवन न करें।  2. शराब मत पियें अथवा कम मात्रा मे लें।  3. भोजन मे नमक व चिकनाई का प्रयोग कम करें।  4. मोटापा कम करें।  5. नियमित व्यायाम करें।  6. योग व ध्यान द्वारा मानसिक तनाव कम करें।  7. भोजन मे फाइबर व मछली का प्रयोग लाभदायक है।  8. दवाई नियमित रूप से लें।

यदि समय रहते ध्यान दिया जाए तो काफी हद तक मधुमेह होने की संभावना को कम अथवा दूर किया जा सकता है।        

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