क्रोध मनुष्य के मन की एक ऐसी भावना हैं, जिसका असर व्यक्ति के मन और मस्तिष्क दोनों पर पड़ता है।व्यक्ति के क्रोधित होने पर उसके शरीर मे कई तरह के बदलाव दिखाई देते हैं जैसे - रक्तचाप बढ़ना,ह्रदय गति का बढ़ना आदि। जिन्हें व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ के लिए अच्छा नहीं माना जाता हैं। क्रोध को कायरता की निशानी भी कहा जाता है।
व्यक्ति मे जब धैर्य एवं साहस की कमी होती है तभी वह अपने क्रोध को प्रदर्शित करता है। क्रोध मे व्यक्ति के सोचने समझने की शक्ति समाप्त हो जाती है। व्यवहारिक जीवन में इससे बड़ा दुःख और कुछ नहीं हो सकता कि क्रोध की अवस्था में हम दूसरे को दुःख पहुंचाना चाहते हैं किंतु इसमें हमारा बहुत अधिक नुकसान हो जाता है।
हम परिवार तथा समाज की नजरो मे गिर जाते हैं। यहाँ पर क्रोध से सम्बंधित कुछ ऐसे विचार व्यक्त किये जा रहे है जिसे पढ़कर हम स्वयं मे आकलन कर सकते हैं की क्रोध आने पर मनुष्य की क्या स्तिथि होती है तथा इससे किस प्रकार हमारा नुकसान होता है तथा इस क्रोध की ज्वाला से हम स्वयं को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं।
मुंशीप्रेमचंद के अनमोल विचार
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