चार मोमबत्तियाँ- Hindi motivational story


चार मोमबत्तियाँ

जीवन में प्रेरणादायक कहानियों  का  एक अलग ही महत्त्व है | दोस्तों हम सभी के जीवन मे समस्याओं और सुख -दुःख का एक अहम हिस्सा है | कभी -कभी यह समस्याए व्यक्ति को इस कदर घेर लेती हैं कि व्यक्ति का मनोबल टूट जाता है ,और उसकी सोच पूर्णतया नकारात्मक हो जाती है |

वह स्वयं को अवसादों से घिरा हुआ पाता है | हम सभी ने जीवन मे उतार -चढ़ाव को महसूस किया है | जीवन में अक्सर ऐसे क्षण आते हैं, जब हम स्वयं को निराशा के भंवर में फंसा हुआ पाते हैं | 

ऐसे में किसी के बोले गए प्रेरक शब्द या कहीं लिखे प्रेरक वाक्य या फिर प्रेरणादायक कहानियाँ  हमें निराशा के उस भंवर से बाहर निकालकर हमारे भीतर एक नई सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं | 


दोस्तों आज मैं आप के साथ एक ऐसी रोचक प्रेरणादायक कहानी साझा करुँगी जिसे पढ़कर व्यक्ति के भीतर की समस्त नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मक ऊर्जा मे परिवर्तित हो जाती है | 

रात्रि का प्रहर था चहुँ ओर घना अंधकार छाया हुआ था सिर्फ एक ही कमरा प्रकाशमय था वहाँ चार  मोमबत्तियाँ जल रही थी।
 
चारों मोमबत्तियाँ आपस में वार्तालाप करने लगी | पहली मोमबत्ती बोली, “मैं शांति हूँ, जब मैं इस समस्त दुनिया को देखती हूँ, तो बहुत दु:खी होती हूँ चारों ओर अन्याय ,पाप और हिंसा ही दिखाई देती है ऐसे में मेरा यहाँ रहना बहुत मुश्किल है, मैं अब यहाँ और नहीं रह सकती” इतना कहकर मोमबत्ती बुझ गई | 

दूसरी मोमबत्ती भी अपने मन की बात कहने लगी, “मैं विश्वास हूँ मुझे लगता है कि झूठ, धोखा, फरेब, बेईमानी ये सभी इंसानो के भीतर से मेरा वजूद ख़त्म करते जा रहे हैं ये जगह अब मेरे रहने के लायक नहीं रही मैं भी जा रही हूँ” इतना कहकर दूसरी मोमबत्ती भी बुझ गई | 



तीसरी मोमबत्ती भी अत्यन्त दु:खी थी वह बोली, “मैं प्रेम हूँ मैं हर किसी के ह्रदय मे रहती हूँ लेकिन अब किसी के पास मेरे लिए वक्त नहीं बचा ,स्वार्थ और नफरत का भाव मेरा स्थान लेता जा रहा है लोगों के मन में अपनों के प्रति भी प्रेम-भावना नहीं रही अब ये सहना मेरे बस की बात नहीं मेरे लिए जाना ही ठीक होगा” कहकर तीसरी मोमबत्ती भी बुझ गई | 

तीसरी मोमबत्ती अभी बुझी ही थी कि कमरे में एक बालक ने प्रवेश किया | मोमबत्तियों को बुझा हुआ देख उसे बहुत दुःख हुआ तथा उसकी आँखों से आँसू बहने लगे दु:खी मन से उदास होकर वो बोला, “इस तरह बीच में ही मेरे जीवन में अंधेरा कर कैसे जा सकती हो तुम तुम्हें तो अंत तक पूरा जलना था लेकिन तुमने मेरा साथ छोड़ दिया अब मैं क्या करूंगा?”


बालक की बात सुन चौथी मोमबत्ती बोली, “निराश नहीं हो बालक मैं उम्मीद हूँ और मैं तुम्हारे साथ हूँ जब तक मैं जल रही हूँ, तुम मेरी लौ से दूसरी मोमबत्तियों को जला सकते हो | ”

चौथी मोमबत्ती की बात सुनकर बालक का ह्रदय ख़ुशी से प्रफुल्लित हो उठा | उसने उम्मीद के साथ शांति, विश्वास और प्रेम को पुनः प्रकाशित कर लिया |
 
                          यहाँ पढ़िये एक बालक के  द्रढ़ विश्वास की कहानी 

सीख – जीवन में प्रत्येक समय एक सा नहीं रहता कभी उजाला रहता है, तो कभी अँधेरा जब भी जीवन में अंधकार का पल आये, मन अशांत हो जाये, और विश्वास डगमगाने लगे और दुनिया पराई लगने लगे तब उम्मीद का दीपक जला लेना जब तक उम्मीद का दीपक जलता रहेगा, जीवन में कभी अँधकार नहीं हो सकता उम्मीद  के बल पर जीवन में सबकुछ पाया जा सकता है इसलिए इंसान को कभी भी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ना चाहिए | 

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